Poetry in the Time of Dissent
1 min readJan 2, 2020
फैज़ तो बदनाम होना ही था
सोचने पर भी पाबंदी है
नज़्म की कशिश तो वैसे ही गहराइयों में है
फिर डूबना कौन सी बड़ी बात हो गयी
नज़्म का इंतकाम होना ही था
फैज़ तो बदनाम होना ही था
पहेलियों में बातें खुद का शिकार होती हैं
पाक के शायर वैसे ही नापाक होते हैं
उनकी पहेलियों का ये अंजाम होना ही था
फैज़ को बदनाम होना ही था