Sab Badla
1 min readJan 30, 2020
राम सियावार थे कभी , पर अब वो योद्धा बन गए
भक्ति हनुमान की अब शिकनें हैं गुस्से की
गोडसे पापी था कभी — अब पूज्य हो गया है
कभी भावना धरा की उपज थी अब गोधरा के किस्से की
तर्कशील शब्द टटोलते थे, अब गालियां छलनी करती हैं
विवाद था भी तो विविधता की इज़्ज़त थी — अब घृणा है
विचार थे जो अब लाठियां और गोलियां बन गए हैं
विभिन्नता अब भी है पर अब सहिष्णुता बिना है
दुर्लभ ऊंचे विचारों की आकांक्षा अब न्यूनतम का शोध है
जो छीन सकें आसानी से वही लक्ष्य अगला है
हरेक जो अपना ही था अब दूसरा है और बाधा बन गया
परस्परता अब सिर्फ डर है, संदेह है — हर भाव बदला है